GST- एक परिचय
GST लागू होने के बाद भारत एक वन टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बन गया है जिससे भारत में वस्तुओं और जरुरी सेवाओं पर लगने वाले अलग – अलग तरह के टैक्स खत्म हो गए है, एक नये आंकड़े के मुताबिक इंडिया के करीब 132 करोड़ लोग सेवाओं और वस्तुओं पर सिर्फ एक Tax देंगे जिसे GST यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स के नाम से जाना जाएगा। अभी तक किसी भी सामान पर सेंट्रल और राज्य कई तरीके के सर्विस टैक्स लगाते थे । लेकिन अब GST आने के बाद सभी तरह के सामानों पर एक समान टैक्स लगाया जाएगा।GST से लाभ
कर पर पुनः करारोपण नहीकीमतों में समग्र कमीएक राष्ट्रीय बाजारछोटे करदाताओं के लिए लाभस्वयं-विनियमन (self regulating) कर प्रणालीगैर-दखल इलेक्ट्रॉनिक टैक्स सिस्टमसरलीकृत कर व्यवस्थाएकाधिक करो के स्थान पर एक ही करगंतव्य एवं खपत आधारित करसीएसटी की समाप्तिनिर्यात पर शून्य कर दरघरेलू उद्योगों की सुरक्षा - आईजीएसटीसरलीकृत कर व्यवस्थाआई.टी आधारित कर व्यवस्थाबीजक स्तर के अनुसार आगत कर मिलानएक देश, एक कर, एक बाजारअनुपालन लागत मे कमीकर अपवंचन पर अंकुशसभी हितधारकों- सरकार, उद्योग, व्यापार जगत एवं आम उपभोक्ता पर व्यापक लाभकारी प्रभाव उपभोक्ता को कर की पूर्ण जानकारीमुद्रास्फीति में कमीव्यापार करने में आसानीGST की मुख्य विशेषताएं
जीएसटी माल एवं सेवाओं की आपूर्ति (Supply) पर लागू होगा।समान कर आधार पर केन्द्र द्वारा सेंन्ट्रल जीएसटी (CGST) एवं राज्यों द्वारा स्टेट जीएसटी (SGST) का आरोपण होगा।मानव उपभोग के लिए एल्कोहल को जीएसटी से बाहर रखा गया है एवं 5 पेट्रोलियम उत्पाद (पेट्रोल, डीजल, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस तथा विमान ईंधन) GST लागू होने पर प्रारम्भिक दौर में इसके दायरे से बाहर रहेंगे।कुछ अधिसूचित सेवाओं के अलावा समस्त सेवाओं पर जीएसटी देय होगा।तम्बाकू एवं तम्बाकू उत्पादों पर जीएसटी देय होगा। साथ ही इन पर केन्द्र द्वारा आरोपित उत्पाद शुल्क भी देय होगा।सेंन्ट्रल जीएसटी(CGST) तथा स्टेट जीएसटी (SGST) की समान दरें होंगी जो जीएसटी काउंसिल द्वारा तय की जायेंगी।केन्द्र तथा राज्यों के लिए करमुक्त वस्तुआंे एवं सेवाओं की सूची एक समान होगी।वस्तुओं एवं सेवाओं की राज्य के भीतर सप्लाई पर सीजीएसटी एवं एसजीएसटी दोनों आरोपित होंगे।व्यवसायी द्वारा जारी की जाने वाली इन्वाइस में सीजीएसटी व एसजीएसटी की दर व राषि का अलग-अलग विवरण होगा।गंतव्य एवं उपभोग आधारित कर प्रणाली:- टैक्स उस राज्य को प्राप्त होगा जिस राज्य में माल/सेवा का उपभोग होगा ।निर्माता से लेकर अंतिम उपभोग तक के सभी स्तरों पर पूर्व में देय कर का आगत कर के रुप में समायोजन मिलेगा। संक्षेप में एक प्रकार से केवल मूल्यवृ़िद्ध(value addation) पर ही कर का आरोपण होगा।निर्यात और सेज को आपूर्ति शून्य-दर आपूर्ति के रूप में माना जाएगा। निर्यात पर कोई कर देय नहीं है, लेकिन आपूर्ति से संबंधित आईटीसी निर्यातकों को वापस कर दी जाएगी।एचएसएन कोड (dksM(Harmonized System of Nomenclature) का प्रयोग जीएसटी प्रणाली के तहत माल वर्गीकृत करने के लिए किया जाएगा।जिन करदाताओं का पण्यावर्त 1.5 करोड तक का है वह बिलो में एचएसएन कोड के अंकन की बाध्यता से मुक्त रहेगें। जिन करदाताओं का पण्यावर्त 1.5 करोड़ रुपये से ऊपर है लेकिन 5 करोड़ रुपये से नीचे है वे मात्र 2 अंकों के एचएसएन कोड का अंकन करेंगे।जिन करदाताओं का पण्यावर्त रु 5 करोड़ या उससे अधिक है 4 अंकों के एचएसएन कोड का प्रयोग करेगे।सेवाओं के लिए सेवा लेखा कोड (एसएसी) का उपयोग किया जाएगा।GST के विशिष्ट प्रावधान
अनुपालना रेटिंग (Compliance Rating) -सभी करदाताओं की उनके दायित्व निर्वहन के इतिहास के आधार पर रेटिंग की जायेगी। इस पद्धति से कर दाताओं का दायित्व निर्वहन बढेगा और व्यवसाय जगत को नई दिशा मिलेगी।
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