जानिए हिन्दू धर्म को
हिन्दू धर्म भारत का प्रमुख धर्म है। हिन्दू या सनातन धर्म 4000 साल से भी पुराना माना जाता है। मान्यता है कि हिन्दू धर्म प्राचीन आर्य समाज के वेदों पर चलता हुआ विकसित हुआ है। इस धर्म को किसी व्यक्ति विशेष ने नहीं बल्कि समय ने बनाया और फैलाया है।हिन्दू धर्म का इतिहास
हिन्दू धर्म का उदय कब और कैसे हुआ इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं है। मान्यता है कि वेदों का अनुसरण करते हुए आर्यों ने ही हिन्दू धर्म को उसकी पहचान दिलाई। हिन्दू धर्म के पुरातन लेखों और तथ्यों से जाहिर होता है कि हिन्दू धर्म बेहद विकसित और समृद्ध था। सिंधु घाटी सभ्यता और अन्य कई पुरातन अध्ययनों से यह जाहिर हुआ है कि हिन्दू धर्म का उदय बेहद प्राचीन है।वेदों पर आधारित धर्म
विश्व की प्रथम पुस्तक "वेदों " को माना गया है। वेदों के अस्तित्व को पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त हैं। वेदों में सबसे प्राचीन "ऋग्वेद" को माना गया है। कई जानकार मानते हैं कि वेदों में लिखे नियमों और बातों का अनुसरन करके ही हिन्दू धर्म ने अपने नियम और मानदंड स्थापित किए हैं।हिन्दू धर्म के इतिहास की मुख्य बातें
भाषा:
मान्यता है कि प्राचीन हिन्दू धर्म की मुख्य भाषा संस्कृत थी।समाज:
प्राचीन हिन्दू समाज में राजा और प्रजा के रूप में विभाजित थी, जहां राजा प्रजा को संचालित करता था।देव:
वेदों की मान्यतानुसार सनातन धर्म के मुख्य देव इन्द्र, वरुण, अग्नि और वायु देव हैं।तीन मुख्य संप्रदाय:
सनातन हिन्दू धर्म मुख्यत: तीन संप्रदायों में बंटा था एक शैव जो शिव की पूजा करते थे। दूसरा वैष्णव जो विष्णुजी को अपना आराध्य मानते थे। और तीसरे शक्ति के उपासक थे।श्री आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म की पुन: स्थापना: मान्यता है कि विभिन्न संप्रदायों में बंट जाने से जब सनातन धर्म कमजोर होने लगा तो आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण कर पुन: धर्म की स्थापना कर लोगों को जोड़ने का काम किया।
अन्य संस्कृतियां:
मान्यता है कि बौद्ध और जैन धर्म भी सनातन हिन्दू धर्म का ही एक अंग है।श्रीमद्भागवत पुराण
‘श्रीमद्भागवत’ पुराण वैष्णव समुदाय का प्रमुख ग्रन्थ है। भगवान विष्णु से संबंधित श्रीमद्भागवत पुराण में वेदों, उपनिषदों व दर्शन शास्त्र की व्याख्या विस्तारपूर्वक की गई है। श्रीमद्भागवत पुराण को सनातन धर्म तथा संस्कृति का विश्वकोष भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण में बारह वैष्णव स्कंध, तीन सौ पैंतीस अध्याय एवं अठारह हज़ार श्लोक हैं। हिन्दू धर्म को समझने के लिए इस पुराण को बेहद अहम माना जाता है।श्रीमद्भागवत पुराण के भाग
श्रीमद्भागवत पुराण, पुराणों की सूची में पांचवें स्थान पर हैं। श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों का सुंदर वर्णन किया गया है। श्रीमद्भागवत बारह स्कन्धों में विभाजित है, जो निम्न हैं:1. ‘श्रीमद्भागवत’ के प्रथम स्कन्ध में भक्तियोग तथा वैराग्य का वर्णन किया गया है। इस महापुराण के उनतीस अध्याय हैं, जिनमें ईश्वर-भक्ति को शुकदेव द्वारा सुनाया गया है।
2. द्वितीय स्कन्ध में प्रभु के विराट स्वरूप, देवताओं की उपासना, गीता का सार, 'कृष्णार्पणमस्तु' व काल विभाजन की विवेचना की गई है।
3. तृतीय स्कन्ध उद्धव तथा विदुर की कथा के साथ प्रारम्भ होता है, तथा भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ब्रह्मा का जन्म, सृष्टि का विस्तार व अन्य की विस्तारपूर्वक विवेचना की गई है।
4. चतुर्थ स्कन्ध में ‘पुरंजनोपाख्यान' अत्यधिक प्रसिद्ध है, जिसमें राजा पुरंजक व भारत की एक सुंदरी की कथा का वर्णन मिलता है। साथ ही राजर्षि ध्रुव तथा पृथु के चरित्र का भी उल्लेख मिलता है।
5. पंचम स्कन्ध में अग्नीध्र, राजा नाभि, ऋषभदेव तथा भरत के साथ-साथ समुद्र, नदी, पर्वत, पाताल व नरक का वर्णन है।
6. षष्ठ स्कन्ध में अजामिल (नारायण के पिता) की व्याख्या, नारायण कवच और पुंसवन व्रत विधि व दक्ष प्रजापति के वंश का वर्णन है, जो मनुष्य, पशु एवं देवताओं के जन्म कथा का बखान करता है।
7. सप्तम स्कन्ध में प्रह्लाद व हिरण्यकश्यिपु के साथ वर्ण, वर्ग तथा धर्म का विवरण दिया गया है।
8. अष्टम स्कन्ध में भगवान विष्णु व गजेंद्र की रोचक कथा का सार मिलता है। इससे अतिरिक्त समुद्र मंथन, वामन अवतार, देव-असुर संग्राम का वर्णन इसी स्कन्ध में दिया गया है।
9. नवां स्कन्ध में भगवान राम व सीता का विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया गया है, साथ ही राजवंशों के चरित्र को भी दर्शाया गया है।
10. दशम स्कन्ध में भगवान कृष्ण की अनंत लीलाओं का वर्णन किया गया है।
11. एकादश स्कन्ध में राजा जनक व 9 योगियों के संवादों का वर्णन मिलता है। साथ ही इसी स्कन्ध में यदु वंश के संहार का विश्लेषण किया गया है।
12. द्वादश स्कन्ध में भविष्यकाल के आधार पर राजा परीक्षित व राजवंशों का वर्णन किया गया है। साथ ही विभिन्न कालों, प्रलयों व भगवानों के उपांगों का स्वरूप दर्शाया गया है।
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